क़ुतुब मीनार भारत में स्थित एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है जो भारत के दक्षिण दिल्ली शहर में स्थित है। यह ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है, जिसकी उचाई 73 मीटर (239.5 फीट) और व्यास 14.3 (46.91 फ़ीट) मीटर है जो शिखर पे कम होकर 2.75 मीटर (9.02 फीट)। इस मीनार के अंदर 379 सीढियाँ है। अगर इस मीनार के चारो और देखा जाये तो आपको भारतीय कला के आदर्श नमूने देखने को मिलेंगे, जिनमे से कुछ तो काफी पुराने; लगभग वर्ष 1192 के है। भारत के इस धरोहर को विश्व धरोहर के रूप में स्वीकार किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस मीनार को बनाने के लिए आस-पास के 27 किला को तोडा गया था और दिल्ली विजय के उद्देश्य में इसको किला के मलवे से बनाया गया था
क़ुतुब मीनार किसने और कब बनवाया ?
दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे बनवाने कि पहल कि थी, क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे 1193 में बनवाना शुरू किया था, लेकिन उन्होंने इसका केवल आधार बनवाया था। दरअसल उन्हें ये प्रेरणा अफ़गानिस्तान में स्थित, जाम की मीनार से मिली थी। क़ुतुबुद्दीन ऐबक के आधार बनवाने के बाद उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिले और बनवाई। आखिर में फीरोजशाह तुगलक ने 1368 में पाँचवीं मंजिल बनवाई। इस मीनार को लाल बलुआ पत्थर की सहायता से बनवाया गया है। इस पत्थर पर कुरान की आयतों और फूल बेलों की नक्काशी की गई है। यह मीनार लाल और बफ सेंड स्टोन से बनाई गई है जो की राजधानी दिल्ली में स्थित है।
इस मीनार की नींव 1199 में गुलाम राजवंश के क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी और इस मीनार को नमाज़ अदा करने की पुकार लगाने के लिए बनाया गया था, उस समय इसकी केवल पहली मंजिल बनी थी। बाद में उनके उत्तरवर्ती तथा दामाद शम्स उद्दीन इतुतमिश तीन और मंजिलें जोड़ी। हर मंजिल पर बाहर की और निकले हुए छज्जे, इस मीनार की सोभा में चार-चाँद लगाते है, जिनको पत्थर के ब्रेकेट से सहारा दिया गया है, जिन्हे ध्यान से देखा जाये तो मधुमक्खी के छत्ते के समान सजावट लगती है जिस कारण इसकी सोभा और अधिक बढ़ जाती है।
क़ुतुब मीनार के आस-पास के बारे में विवरण
इस मीनार के मीनार के उत्तर – पूर्व में एक मस्जिद स्थित है जिसका नाम कुवत उल इस्लाम, जिसे क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने ए डी ११९८ के दौरान बनवाया था। इस मस्जिद को दिल्ली के सुल्तानों ने बनवाया था जो कि सबसे पुरानी मस्जिद थी; जो ढह चुकी है। इस मस्जिद के नक्काशी वाले खम्बो पर उठे हुए आकार का एक आयातकार आँगन है जो कि 27 हिन्दु तथा जैन मंदिरों के वास्तुकलात्मक सदस्य को दर्शाता है, जिसे क़ुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा नष्ट किया गया था जिसके बारे में मुख्य पूर्वी प्रवेश द्वार पर खोदे गए शिला लेख में मिलता है।
एक रोचक वाली बात यह है; क़ुतुब मीनार के उत्तर में अलाइ मीनार नाम कि एक मीनार खड़ी है। इसमें रोचक वाली बात यह है कि इस मीनार को क़ुतुब मीनार से दोगुने आकर का बनवाने के इरादे से सुरु किया गया था जिसे मात्र एक मंजिल से ही संतुष्टी करनी पड़ी, वैसे यह मीनार अला उद्दीन खिलजी द्वारा बनवाया गया था जिसकी ऊंचाई अब 25 मीटर है। भारत कि इस सबसे ऊँची पत्थर कि मीनार को विश्व धरोहर के रूप में यूनेस्को द्वारा 1993 में स्वीकृति दी गई।